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Friday, 14 October 2011

भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम रही है कांग्रेसः अन्ना हजारे


भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन चला रहे गांधीवादी अन्ना हज़ारे ने कहा कि इस बुराई को मिटाने के लिये उन्हें भाजपा और कांग्रेस, दोनों में कोई फर्क नजर नहीं आता. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मिलकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
हज़ारे ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के उन्हें 11 और 12 अक्तूबर को लिखे दो पत्रों के आठ पृष्ठ के जवाबी खत में कहा, ‘भ्रष्टाचार मिटाने के लिये दोनों ही पार्टियों (कांग्रेस और भाजपा) की अंदर की आवाज नहीं निकलती, भ्रष्टाचार मिटाने के लिये दोनों ही पार्टियों में मुझे कोई फर्क नहीं दिखायी देता.’ संघ से स्वयं को जोड़े जाने के दिग्विजय के आरोपों पर उन्होंने कहा, ‘आपने मुझे भाजपा और संघ परि
वार से जोड़ने का प्रयास किया है. आपको या तो पता नहीं होगा या जानकर भी आप अनजान बन रहे हो.’
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के इस दावे कि भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाये सामाजिक कार्यकर्ताओं के आंदोलन को उनके संगठन का समर्थन है, हज़ारे ने कहा, ‘मैं ईश्वर को मानने वाला हूं और ईश्वर को साक्षी रखकर कहूंगा कि रामलीला मैदान में आरएसएस का एक भी कार्यकर्ता 12 दिन में एक बार भी मुझे आकर मिला नहीं. ना मेरे आंदोलन में दिखायी दिया.’ उन्होंने कहा, ‘अगर भागवत ने कहा हो कि अन्ना के आंदोलन में हम सहभागी थे तो जैसे आपकी पार्टी (कांग्रेस) मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रही है, वैसे ही आरएसएस भी मेरी बदनामी की कोशिश कर रही है, ऐसा मैं मानता हूं. या तो आप दोनों ने मिलजुलकर मेरी बदनामी की कोशिश की होगी.’

हज़ारे ने कहा, ‘मेरा मानना है कि क्या आपकी पार्टी, क्या भाजपा और क्या आरएसएस, कोई मेरी कितनी भी बदनामी की कोशिश करे, सत्य हमेशा सत्य होता है.’ गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा कि देश की जनता को भाजपा, कांग्रेस या आरएसएस से कोई लेनादेना नहीं है. जनता भ्रष्टाचार से परेशान है, भ्रष्टाचार को मिटाने की कोशिश जब तक आप और आपकी पार्टी की सरकार नहीं करेगी, तब तक इन झूठी बातों का जनता पर कोई असर नहीं होगा. इसका अनुभव आपके बड़े-बड़े नेताओं ने किया है.

संघ की ओर से उन्हें लिखे गये पत्रों के आधार पर उनका संघ परिवार से रिश्ता जोड़े जाने के दिग्विजय के दावों पर हज़ारे ने कहा, ‘हमारे आंदोलन को शिकस्त देने के लिये आप आरएसएस के सुरेश भैया का पत्र जनता को दिखा रहे हैं, ऐसे पत्र का सबूत आप बना रहे हैं. सबूत तो वह हो सकता है जब ऐसे पत्र का मैंने जवाब दिया हो. ऐसा कोई पत्र है तो सबूत हो सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘30 साल से समाज और देश की भलाई के लिये मैं बदनामी झेलते आया हूं और आगे भी बदनामी सहन करने की तैयारी रखी है. जिस पेड़ पर फल होते हैं, उसी पेड़ पर लोग पत्थर मारते हैं, इस बात को मैं अच्छी तरह जानता हूं.’ हज़ारे ने दिग्विजय को सलाह दी कि उनके आंदोलन को देखने का उनके चश्मे का रंग गलत है और उन्हें चश्मा बदल लेना चाहिये.

भाजपा द्वारा उन्हें राष्ट्रपति पद का अगला उम्मीदवार बनाये जाने के सब्जबाग दिखाने के दिग्विजय के दावे पर हज़ारे ने कहा, ‘ना तो राष्ट्रपति बनने की मेरी पात्रता है और न ही दिल में राष्ट्रपति बनने की मेरी इच्छा. समझ में नहीं आता कि ऐसे में क्यूं कांग्रेस वाले और बीजेपी वाले हवा में तीर चला रहे हैं.’ हिसार लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं देने की जनता से की गयी अपील पर दिग्विजय की नाराजगी के बारे में हज़ारे ने कहा कि उनकी पार्टी जनलोकपाल विधेयक और लोकायुक्त विधेयक को कानून बनाने में टाल-मटोल कर रही है. यही कारण है कि उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को वोट मत दो.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन यूं भी तो नहीं कहा कि बीजेपी को वोट दो. चरित्रवान उम्मीदवार देखकर वोट दो. भले ही वे सत्ता में हों या विपक्ष में.’ हज़ारे ने कहा, ‘आप चिट्ठी में लिखते हैं कि कांग्रेस और अन्य दलों के भीतर फर्क करना चाहिये. मुझे और साथ ही जनता को भी यह लगता है कि कुछ पार्टियां भ्रष्टाचार के बारे में मानो ग्रैज्युएशन की पढ़ाई कर रही हैं. किसी ने ग्रैज्युएशन कर लिया है तो किसी ने भ्रष्टाचार में डॉक्टरेट पायी है. फर्क ही करना हो तो इतना ही फर्क दिखायी देता है. कौन सी पार्टी साफ है, यही बड़ा सवाल है.’

राजनीति में आने की दिग्विजय की सलाह पर उन्होंने कहा, ‘आपने मुझे राजनीति में आने की सलाह दी लेकिन मैंने तय किया है कि शरीर में प्राण हैं तब तक किसी भी पक्ष और पार्टी की राजनीति में नहीं जाऊंगा.’ हज़ारे ने कहा, ‘मेरा तो ये दावा है कि बीजेपी और कांग्रेस आपस में मतभेद दिखाकर जनता को भुलावे में डाल रहे हैं लेकिन दोनों पार्टियों में कोई विशेष फर्क नहीं दिखायी देता है.’

हिसार में कांग्रेस को वोट नहीं देने की अपील के बारे में दिग्विजय की शिकायत पर उन्होंने कहा, ‘आपको अगर लगता है कि कांग्रेस को वोट मत दो, ऐसा प्रचार करने से बीजेपी को लाभ होगा तो कांग्रेस उनको ऐसा लाभ उठाने का मौका क्यों दे रही है? जनलोकपाल और लोकायुक्त कानून अगर शीघ्र बनते हैं तो क्या उनको (कांग्रेस को) लाभ नहीं होगा.’

हज़ारे ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ 35 वर्ष के अपने आंदोलनों में उन्होंने किसी व्यक्ति, पक्ष या पार्टी के विरोध में आंदोलन नहीं किया है. लेकिन कांग्रेस में कई लोग ऐसे भी हैं कि भ्रष्टाचार रोकने के लिये उनकी नीयत साफ नहीं है. जनलोकपाल और लोकायुक्त कानून बनाने के लिये उनकी नीयत साफ नहीं है. भ्रष्टाचार से देश बर्बाद हो गया है और ज्यादा बर्बादी नहीं हो, इसलिये कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस को वोट मत दो. उन्होंने कहा कि अगर आपकी पार्टी संसद के शीतकालीन सत्र में जनलोकपाल विधेयक लाती है और अगर राज्य में लोकायुक्त कानून बनाने की कोशिश करती है तो ना हमें आंदोलन की जरूरत है और ना ही किसी पक्ष या पार्टी विशेष को ‘वोट मत दो’ यह कहने की जरूरत है. बार-बार अनशन करने में हमें कोई खुशी नहीं है.

हज़ारे ने दिग्विजय से जनलोकपाल आंदोलन के बाद सरकार द्वारा संयुक्त मसौदा समिति गठित करने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद से ऐसी संयुक्त समिति नहीं बनायी गयी तो यही तो सरकार की गलती रही. हम देश में लोगों ने, लोगों के लिये और लोगों की सहभागीदारी से बनायी गयी शाही को लोकशाही कहते हैं. यही अगर लोकशाही का अर्थ है तो देश में समाज और देश की भलाई के लिये जो कानून बनते हैं वे लोक-सहभागिता से बनने चाहिये.’ हज़ारे ने अपने इस पत्र में कांग्रेस के साथ ही भाजपा और आरएसएस को भी उनके बयानों के लिये आड़े हाथ लेने की जाहिरा कोशिश की है.

दिग्विजय ने हज़ारे को 11 अक्तूबर को लिखे पत्र में कहा था कि वह भाजपा पर निशाना क्यों नहीं साधते. उन्होंने दावा किया था कि भाजपा हज़ारे को राष्ट्रपति पद का अगला उम्मीवार बनाने का सब्जबाग दिखा रही है. इसके अगले ही दिन यानी 12 अक्तूबर की अपनी चिट्ठी में कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि हज़ारे को आरएसएस का पूर्ण समर्थन है और उनके इर्द-गिर्द के लोग उन्हें अंधेरे में रख रहे हैं.

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